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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 22


अमित की माँ उसे ले जाने लगी  तभी  अंजली  के पिता ने अमित का हाथ  पकड़ा  और रोते हुए  बोला " भगवान  के लिए  इस चौखट  से खाली  हाथ  मत  जाओ दामाद जी मेरी बेटी ज़रूर  किसी मुसीबत  में है , मुझे  उस पर  पूरा  भरोसा  है  वो ऐसा वैसा कुछ  नही कर  सकती  जिससे की मेरा सर नीचे  झुक  जाए आपको  भगवान  का वास्ता "


"चलो  अमित अब यहाँ कुछ  नही रखा  जो रुका जाए इसे एक डरोना  ख्वाब समझ  कर  भूल  जाओ " अमित के पिता ने कहा 

" नही माँ और पिता जी मुझे  अंजली  पर  भरोसा  है  वो मुझसे  और मैं उससे प्यार करते  थे , अगर  कुछ  ऐसा होता तो वो मुझे  पहले  ही मना  कर  देती जब  मेने उसे पहला  ख़त भेज  कर  दोस्ती करना  चाही  थी  मुझे  लगता  है  कि वो किसी मुसीबत  में है  " अमित ने कहा ।

"मौसी  जी अमित सही  कह  रहा  है  मेरी दोस्त कोइ ऐसी वैसी लड़की नही है  जो इस तरह  अपनी शादी  के दिन किसी और के साथ  भाग  जाए जरूर  उसके साथ  कुछ  बुरा हुआ है  तभी  वो वापस  नही लोटी हम  सब  को उसे ढूंढ़ना  चाहिए  " मंजू  ने कहा 

राकेश  भी  मंजू  कि तरफ  से बोला " जी मौसी  अंजली  एक अच्छी लड़की है  मैं भी  उसे अच्छे से जानता  हूँ जरूर  किसी ने उसके साथ  कोइ मज़ाक  किया होगा और वो किसी मुसीबत  में फस  गयी  होगी  हम  सब  को उसे ढूंढ़ना  चाहिए  क्या पता  उसे हम  सब  कि ज़रुरत  हो और हम  यहाँ खड़े  देर करदे  "


दुर्जन रोते हुए  " भगवान  जाने मेरी बेटी कहा  और किस हाल में होगी, मेरी मासूम  सी बच्ची को कही  कुछ  हो गया  तो मैं जीते  जी  मर जाऊंगा "

सब  लोग बाहर  अंजली  को ढूंढ़ने  निकले रात काफी हो चुकी  थी  काफी देर ढूंढ़ने  के बाद भी  अंजली  का पता  नही चला  सब  को लग  रहा था  अंजली  अपने आशिक  के साथ  भाग  गयी ।

भोर  का समय  हो चला  था , लेकिन अंजली  का कोइ पता  नही चला । थोड़ी  देर बाद एक आदमी  भागता  हुआ दुर्जन कि तरफ़ बड़ा  और हाफ्ते हुए  बोला " अनर्थ हुयी गवा  दुर्जन भैया  अनर्थ  हुयी गवा  "

"क्या हुआ भैया ? " दुर्जन ने पूछा 

" भैया  वो नदी  किनारे तुम्हरी बेटी बुरी हालत  में बेहोश  पड़ी  है  " उस आदमी  ने कहा 

" क्या, दुर्जन ने चीख  कर  कहा 

और सब  लोग नदी  किनारे पहुंच  जाते है ।

दुर्जन डरते  हुए  अंजली  के पास जाता उसका दिल बैठे  जा रहा  था  जैसे ही उसने उसका मुँह अपनी तरफ  किया उसकी और पास  खड़े  सभी  लोगो की चीख  निकल  गयी ।

उसका आधा  जला  चेहरा  देख  कर  जिसकी खाल  जल  चुकी  थी  और मॉस नज़र  आ  रहा  था ।

दुर्जन रोता हुआ उसे चिपट  गया  और बोला "ये क्या हुयी गवा  मेरी फूल  सी बच्ची के साथ कौन था  वो जिसने ऐसा गिनहोना काम अंजाम दिया "

अमित भी  उसके पास  जा रहा  था  कि तभी  उसकी माँ ने उसका हाथ  पकड़  लिया और बोली अब अपनी आँखों  से देख  लिया कि क्या हुआ अंजली  के साथ  चल  अब घर  चल  बस  बहुत  हुआ तमाशा ।

मंजू  रोती हुयी अंजली  के पास  गयी  और बोली " ये क्या हो गया  मेरी बहन  तुझे  कोइ एम्बुलेंस को बुलाओ  मैं इसे कुछ नही होने दूँगी  जिसने भी  ये काम क्या है  उसे सजा  दिलवा कर  रहूंगी  "

थोड़ी  देर बाद एम्बुलेंस आ जाती और अंजली  को अस्पताल में भर्ती  करा  दिया जाता।


अस्पताल पहुंच  कर  पुलिस  भी  वहा  आ  जाती।

दुर्जन पुलिस  से " साहब  मेरी बेटी के गुनाहगारो को ढूंढ  लो मेरी बेटी बेक़सूर  है  "

"क्या हुआ तेरी बेटी को " पुलिस  वाले ने पूछा 

तभी एक दरोगा  उसे बताता  " साहब  इसकी बेटी नदी  किनारे बेहोश  मिली थी  उसके चेहरे  पर  किसी ने तेजाब फेक  दिया और इस समय  उसका ऑपरेशन  चल रहा  है  "

"चु,,,, चु,,,,, चु,,,, ये आज  कल  के नोजवानो  का यही  मसला  है  पहले  प्यार करते  है  और फिर  अपने प्यार को किसी और का होते देख  उस पर  तेजाब फेक कर भाग जाते है " पुलिस वाले ने कहा

" नही साहब  मेरी बेटी ऐसी नही थी  वो किसी और लड़के  से प्यार नही करती  थी , कल  उसकी शादी  थी वो इस लड़के  की दुल्हन बनने  जा रही  थी  ( अमित की तरफ  इशारा  करते  हुए  दुर्जन ने कहा  ) आप  चाहे  तो इससे खुद  पूछ  लो " दुर्जन ने कहा 

" अच्छा तो तू  है , कही  तूने  तो उस पर  तेजाब ना डल वा दिया " पुलिस  वाले ने अमित से पूछा 

" ये केसी बाते कर  रहे  है , आप  गुनेहगार को ढूंढ़ने  के बजाय  आप  मुझ  पर  ही इल्जाम लगा  रहे  है  " अमित ने गुस्से में कहा 

" इसे सम्भालो  बहुत  ज़ज़्बाती हो रहा  है  ये " पुलिस  वाले ने कहा 

अमित के माता पिता ने उसे संभाला  और कहा "अमित तुम क्यू टांग अड़ा रहे  हो किसी के मामले में जो हुआ है  इनकी बेटी के साथ  हुआ है  तुम क्यू पुलिस  से बहस  कर  रहे  हो। और मेरी मानो तो घर  चलो  "

तभी  पुलिस  दुर्जन से पूछती  है  कि उसे किसी पर  शक  तो नही है  या फिर  कोइ ऐसा जिससे तेरी बेटी कि शादी  होते नही देखी  जा रही  थी  कही  तेरी बेटी का कोइ आशिक  तो नही था  और उसी ने ये सब  किया हो


"नही साहब  मेरी बेटी गंगा  की तरह  पवित्र है  भला  उसे कौन नुकसान पंहुचा  सकता  है ," दुर्जन ने कहा 

काफी देर बाद दुर्जन को कुछ  याद आता  और वो कहता  " हाँ, एक है  जो मेरी बेटी को नुकसान पहुँचाना  चाहता  था


"कौन है  वो " पुलिस  ने पूछा 

" साहब  वो साहूकार का बेटा अर्जुन जिसने मेरी बेटी को जबरदस्ती  उठा  लिया था  " दुर्जन ने कहा 

ये बात सुन अमित की माँ कहती " बड़े  ही चलाक लोग हो आप , आप  की जवान  बेटी को कोइ उठा  ले गया  और आपने  ये बात हमसे  छिपायी ।  देख  अमित देख  इन लोगो को अब क्या कहेगा  तू , भला  इतनी बड़ी  बात भी  कोइ बेटी के ससुराल  वालो से छिपाता  है  "

"नही बहन  जी ऐसी बात नही है  वो तो साहूकार का बेटा उसे उठा  ले गया  था  क्यूंकि अंजली  ने उसके हाथो  से पिटते हुए  एक आदमी  को बचा  लिया था  उसी का बदला  लेने के लिए  उसने मेरी बेटी को बंधक  बना  लिया था , वो तो भगवान  का शुकर  था  की हम समय  पर  पहुंच  गए  और उसे उसके चुंगल से आज़ाद कर दिया ऐसा वैसा कुछ  नही हुआ था  जैसा आप  सोच  रही  हो " दुर्जन ने रोते हुए  कहा


अमित चुप  था  उसे समझ  नही आ  रही  थी  कि किस पर  यकीन  करे । उसे भी  लगने  लगा  था  कि शायद  अंजली  ही कसूर  वार है  इन सब  के पीछे  क्यूंकि उसने भी  नही बताया  था  कि उसका अपहरण  हुआ था  कुछ  महीने  पहले । और अंजली  झूठ  बोल रही  है  कि वो मुझे  समझ  कर  नदी  पर  मिलने गयी  थी  जरूर  कोइ और था  जिससे वो मिलने गयी  थी  या उसने उसे अपने पास बुलाया था । वो बहुत  कश्मकश  में था  अब तो साहूकार के घर  जाकर  ही पता  चलेगा  कि ये जो कुछ  अंजली  के साथ  हुआ है  वो अर्जुन ने किया है  अपना बदला  लेने के लिए  या फिर  कोइ और है ।

सब  लोग साहूकार के घर  कि और चल  दिए ।




सब  लोग साहूकार के घर  की और चलने  लगे । सुबह हो चली  थी  और ये बात पूरे  गांव में जंगल  की आग  की तरह  फेल  चुकी  थी । जो सुनता वो अफ़सोस करता  और भाग  कर  अस्पताल जाता।


अंजली  का ऑपरेशन  चल  रहा  था। मंजू  का रो रो कर  बुरा हाल था । राकेश  की माँ भी  अजीब  अजीब  से सवाल  करने लगी  थी मंजू से। वो मंजू  से उस रात का पूछती  जब  अंजली  को अग़वाह किया गया  था ।


पहले  तो वो छिपाना चाह  रही  थी  क्यूंकि उस रात वो भी अंजली  के साथ  थी । और अपहरण  की बात तो मंजू  के घरवालों  ने उसके ससुराल  वालो से छिपाई  थी । और राकेश  को भी  नही पता  था कुछ  इस बारे में।

जब  मंजू  ने उस रात के बारे में राकेश  और उसकी माँ को बताया  तब  राकेश  ने भी  उस पर  गुस्सा किया और बोला " इतनी बड़ी  बात तुम लोगो ने हमसे  छिपायी  अच्छा नही किया तुमने मंजू , अगर  ये वारदात ना होती तो हमें तो कभी  पता  ही नही चलता  की शादी  से पहले तुम्हारे साथ  किया हुआ था  "


मंजू  रोते हुए  " ऐसा वैसा कुछ नही हुआ था , मैं तो उनके चुंगल  से भाग  निकली थी  किन्तु अंजली  को उस अर्जुन ने बंधक  बना  लिया था  लेकिन भगवान  की दया  से उसे भी  पुलिस  की मदद  से सही  सलामत  बचा  लिया था , आप  लोग मेरा यकीन  करो  हम  दोनों बेक़सूर  हे  "


राकेश  और उसकी माँ गुस्से में वहा  से बाहर  चले  आये  और कहाँ हम  जा रहे  हे  अगर  हमारे  साथ  चलना है  तो बाहर  आ  जाओ नही तो हम  जा रहे  हे ।


बेचारी  मंजू  दुविधा  में थी  एक तरफ  उसकी सहेली  जो जिंदगी  और मौत  के बीच  लड़  रही  थी  और दूसरी  तरफ  उसके ससुराल  वाले जो उसे वहा  से ले जाने के लिए  बाहर  खड़े  इंतज़ार  कर  रहे  थे ।


वो वहा  रुकना चाह  रही  थी । किन्तु अपनी माँ के समझाने  पर  वो उनके साथ  अपनी सहेली को तड़पता  छोड़  चली  गयी । अगर  ना जाती तो उसका घर  ख़राब  हो जाता। ना चाह  कर  भी  वो वहा  से रोती हुयी चली  गयी ।


अमित, उसके माता पिता गांव वालो और पुलिस  के साथ  साहूकार के घर जा रहे  थे ।

अमित चाहता  था  की वो दुर्जन को समझाये । लेकिन वो खुद  उलझा  हुआ था  और कश्मकश  का शिकार  था । उसे समझ  नही आ  रहा  था  कि कौन असल  गुनेहगार हे  अंजली  या फिर  कोइ और।


वो लोग साहूकार के दरवाज़े  पर  पहुंचते  और बाहर  खड़े दरबान  से चरण  सिंह  को बाहर  बुलाने को कहते ।

वो दरबान  दुर्जन को देख  कर  कहता  " क्या हुआ आज  फिर  यहाँ कैसे आना  हुआ, फिर  कुछ  कर  दिया क्या तेरी बेटी ने "

ये सुन दुर्जन उसका गिरेहबान पकड़ता  और कहता  "अपने मालिक को बुलाकर  ला बाहर  वरना  मैं तुझे  जान से मार दूंगा  "

पुलिस  ने उसका गिरेहबान छुटवाया  और वो अंदर  साहूकार को लेने चला  गया ।

"देखा  अमित तुमने,  कैसे कैसे लोग इनकी बेटी के बारे में बाते कर  रहे  हे , हम  लोग तुम्हारे प्यार में अंधे  हो गए  थे  और तुम्हारी पसंद  को ही अपनी पसंद  मान बैठे  और कोइ छान बीन  भी  नही कि जिसका नतीजा  तुम देख  ही रहे  हो, मेरी मानो तो लौट  चलो  घर  जो बदनामी  होना थी  वो तो हो ही गयी अब बl तुम्हे ना जाने और क्या क्या जान कर  अंजली  के बारे में बेवजह  अपने उपर  गुस्सा आएगा  कि तुमने ऐसी लड़की  से मोहब्बत  की जो पहले  से ही किसी और से मोहब्बत  करती थी  और भी  ना जाने क्या कुछ करती  रही  वो " अमित की माँ ने अमित के कान भरते  हुए  कहा ।


अमित को अब बस  ये जानना था  की साहूकार का बेटा कहा  हे  अगर  वो जैल  से छूट  गया  हे  तो हो सकता  हे  कि ये सब  उसने किया हो, अगर नही छूटा अभी तक  तो फिर  जरूर  अंजली  ने उसे धोखा  दिया हे  और वो शादी  से पहले  किसी और के पास गयी  थी  जिसने उसकी ये हालत  की हे ।


साहूकार बाहर  आता  अब उसका रवैया बदल चूका था  क्यूंकि अब वो इलेक्शन  जीत  चूका  था  अब उसे गांव वालो से कुछ  लेना देना नही था । वो अकड़  के साथ  बाहर  आया  और बोला " का हुयी गवा  दरोगा  काहे सुबह सुबह हमरी  चौखट  पर  आकर  ग़दर  काट रहा  हे  "

"माफ करना  सेठ  जी बस  क्या करे  काम ही ऐसा हे  कि कभी  भी  कही  भी  किसी भी  समय  पहुंचना  पड़  जाता हे  उसके बावजूद  भी  हम  पुलिस  वालो की कोइ इज़्ज़त नही होती हे । अच्छा ये सब  छोड़िये 

कल  रात की हुयी गांव में वारदात का पता  तो चल  ही गया  होगा आपको  " पुलिस  वाले ने पूछा 

"का हुयी गवा  गांव में कोन्हो बम  वम फेक  दिए  हे  क्या?  और ये इतनी भीड़  काहे इकट्ठी हो रही  हे  हमरे  घर  के आगे  " चरण  सिंह  ने पूछा 


"आपको  कल  रात नदी किनारे हुए  हादसे के बारे में कछु  नही पता  सेठ  जी " दरोगा  ने पूछा


"आप  सीधा  सीधा  क्यू नही पूछते  इनसे, बात को घुमा  काहे रहे  हे  दरोगा  साहब  " दुर्जन ने पूछा 

पुलिस  वाले ने दुर्जन की तरफ  गुस्से से देखा  इससे पहले  वो कुछ  बोलता तभी  चरण  सिंह  ने दुर्जन की तरफ  देख  कर  कहाँ " तू  तो वही  हे  ना जो कुछ  दिन पहले  हमरे  घर  ज़मीन  गिरवी रखने  के लिए  आया  था  अपनी बेटी की शादी  के लिए , जो एक महीने  बाद होना थी , हो गयी  तेरी बेटी की शादी  या फिर  दोबारा किसी के साथ  भाग  निकली अब तो मेरा बेटा भी  जैल  में हे  "


ये सुन की अर्जुन जैल  में हे  अमित को झटका  लगा  क्यूंकि वो अब तक  यकीन  नही कर  पा रहा  था  की अंजली  ने उसे धोखा  दिया।

अमित साहूकार से पूछता  हे  " क्या तुम सच  कह  रहे  हो कि तुम्हारा बेटा अभी  भी  जैल  में ही हे  "

"अब ये कौन हे  दरोगा?   और बात क्या हे ? कोइ बताएगा  " चरण  सिंह  ने पूछा 

"सेठ  जी ये लड़का  इसकी बैटी  का होने वाला पति  था और कल  इसकी शादी थी  इसकी बेटी अंजली  के साथ  लेकिन वो इस वक़्त बुरी हालत  में अस्पताल में भर्ती  हे " पुलिस  वाले ने बताया 

"क्यू क्या हुआ उसे, अस्पताल में क्यू भर्ती  हे ? " चरण  सिंह  ने पूछा

"वो बात इस तरह  हे  कि इसकी बेटी पर  किसी ने तेजाब फेक  दिया नदी  किनारे बुला कर  और उसका आधा  चेहरा  जल  चूका  हे  बचने  की कोइ उम्मीद नही हे  " पुलिस  वाले ने कहाँ


" राम, राम, राम बुरा हुआ भगवान  सब्र दे इसके घर  वालो को, लेकिन तुम सब  लोग मेरे दरवाज़े  पर  क्यू आये  हो मेने क्या किया हे  " चरण  सिंह  ने पूछा 

"सेठ  जी बात कुछ  यूं हे  कि इस आदमी  का कहना  हे  कि इसकी बेटी पर तेजाब आपके  बेटे अर्जुन ने फेका  हे  क्यूंकि वो अंजली  का दुश्मन  था । क्यूंकि अंजली  ने उसे पूरे  गांव के सामने थप्पड़  मारा था  और जैल  भी  भेजा  था  उसे अपहरण  करने  के जुर्म में "पुलिस  वाले ने कहाँ

"बता  कहा  छिपा  रखा  हे  अपने बेटे को, आज  मैं उसे ज़िंदा नही छोडूंगा  मेरी बेटी की ज़िन्दगी बर्बाद करदी  उसने उसे कही  मुँह दिखाने  के काबिल नही छोड़ा , उस दिन तो छोड़  दिया था  मेने लेकिन आज  नही छोडूंगा  " दुर्जन ने गुस्से में कहा  चरण  सिंह  से


"ए ताऊ मैं बात कर  रहा  हूँ ना सेठ  से तुम बीच  में क्यू बोल रहे  हो " पुलिस  वाले ने दुर्जन को पकड़ते हुए  कहाँ


"छोड़  दे दरोगा इसे  मैं अभी  दूध  का दूध  और पानी का पानी कर  देता हूँ आज  सब  को पता  चल  जाएगा कि कौन असली मुज़रिम हे , दरोगा  तेरे पास  कमलेश  का नंबर हे  " चरण  सिंह  ने दरोगा  से कहाँ


"जी सेठ  जी, इंस्पेक्टर साहब  का फ़ोन  नंबर  मेरे पास हे  लेकिन वो तो शहर  गए  हे किसी काम से " दरोगा  ने कहाँ

" फ़ोन  कर  और पूछ उससे की वो शहर  क्यू गया  हे  और कब  तक  आएगा  " चरण  सिंह  ने कहाँ

दरोगा  फ़ोन  लगाता हे , घंटी  बज  रही  थी ।

वहा  खड़े  सब  लोग खामोश  थे  और सोच  रहे  थे  कि क्या होने वाला हे ।

तभी  कमलेश  फ़ोन  उठाता  दरोगा  उसे सैलूट करता  और डरते  हुए  उससे पूछता  कि वो कहा  हे ।

कमलेश उससे वजह  पूछता  कि आखिर  क्यू वो एक सीनियर पुलिस वाले से पूछ  रहा  हे  कि वो कहाँ हे ।

दरोगा चुप था  और कुछ  बोलने की कोशिश  करता  हे  तभी  चरण  सिंह  कहता  हे  कमलेश  से।

ए साले साहब  इनको जरा  बता  दो की तुम कहा  और क्यू गए  हो।

अपने जीजा  की आवाज़  सुन कमलेश  कहता  " प्रणाम जीजा  जी, क्या हो गया  ऐसा हमरे  पीछे  की हमें बताना  पड़  रहा  हे  कि हम  कहा  हे  "


कुछ  नही साले साहब  बस  एक गलत  फ़हमी  हे  जिसे दूर  करना  हे  जरा  बताओ  तो तुम कहा  और क्या करने  गए  हो


कमलेश  ने जो बताया  उसे सुन सब  के होश  उड़ गए  उसने कहाँ कि हम  तो आज  अपने भांजे  अर्जुन को जैल  से छुड़ाने  आये  हे  जो पिछले  6 महीने  से एक छोटी सी गलती  की सजा  काट रहा  था । रिहायी हो गयी हे  बस  थोड़ी  देर में घर  पहुंच  जाएंगे  जीजी से कहना  आज  भांजे  की पसंद  का खाना  बनाये  काफी कमज़ोर  हुयी गवा  हे  जैल  की दाल रोटी खाकर ।


"सुन लिया आप  सब  ने कि कौन झूठ बोल रहा  हे  और कौन सच  अच्छा साले साहब  हम  बाद को फ़ोन  करते  हे  आपको  " चरण  सिंह  ने कहाँ।

"ये झूठ  बोल रहा  हे  मेरी बेटी बेगुनाह हे  " दुर्जन ने कहाँ रोते हुए ।


चरण  सिंह  ने कहाँ कि इसकी बेटी,,,,,,,



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5 Comments

Sandhya Prakash

29-Apr-2022 06:28 PM

बहुत अच्छा लिखा है आपने

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Punam verma

29-Apr-2022 09:45 AM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 09:02 PM

शानदार👌👌

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